2003 में जन्मी जदयू, आज राजनीति के बुलंदियों पर पहुंचकर समाजवाद का विजय पताका लहरा रही है। समाजवाद के पुरोधाओं व जनांदोलन से तप कर निकले श्री नीतीश कुमार जी सरीखे पंथनिरपेक्षता और सामाजिक न्याय के प्रबल पक्षधर नेताओं ने न सिर्फ जदयू की स्थापना की, बल्कि समाजवाद की परवरिश में सींचकर पार्टी की शाखाएं देशभर में फैलाई । पार्टी बेहतर भविष्य की सोच के साथ निरंतर आगे बढ़ रही है। जदयू अपनी विचारधारा और सिद्धांत के बूते लगातार बिहार में सरकार के रूप में प्रतिनिधित्व कर रही है। पार्टी के नेता व बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी एक सरकार के मुखिया, और पार्टी का चेहरा होने के नाते हर बार सफल साबित हुए हैं। उन्होंने दोनों ही रूप में तरक्की और सद्भावना का रास्ता चुना है। 


इसी का नतीजा है कि बिहार के समग्र विकास के साथ उनकी पार्टी जनता दल यूनाइटेड भी लगातार नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है।  बिहार का सुशासन और प्रगति जदयू के लिए मजबूती का सबब बनता जा रहा है। जदयू को न केवल बिहार बल्कि अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर की भी राज्य स्तरीय पार्टी घोषित किया है। पार्टी अपनी सोच जनता बीच ले जाने में सफल हो रही है, इसका अंदाजा पार्टी को मिले रहे जनादेश से लगाया जा सकता है। जिसका उदाहरण पूर्वोत्तर के राज्य मणिपुर में 11 फीसदी वोट शेयर के साथ वहां के तीसरे सबसे बड़े दल के रूप में अपने को स्थापित करना है। पार्टी नेतृत्व व श्री नीतीश कुमार की लोकप्रियता से बहुत ही जल्द जदयू राष्ट्रीय पार्टी की लिस्ट में शामिल होकर समाजवाद का नया अध्याय लिखेगी।

 

मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी के द्वारा सामाजिक क्षेत्र में व्यापक बदलाव की दिशा में सात निश्चय की शुरुआत की गई,जो कई समावेशी योजनाओं का पैकेज है। इन्हीं योजनाओं का नतीजा है कि सीमित संसाधनों में बिहार ने हर क्षेत्र में तरक्की की है। बिहार ने गत दशक में साक्षरता दर के मामले में बेहतर प्रदर्शन किया है। बिहार की साक्षरता दर, महिला साक्षरत, प्रजनन दर, शिशु मृत्यु दर व मातृ मृत्यु दर में तेजी से सुधार हुआ है। मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी के ही कुशल प्रयासों का परिणाम है कि महिला सशक्तिकरण में बिहार जो तस्वीर पेश कर रहा है, वो देशभर में नजीर है। समाज के अंतिम व्यक्ति के उत्थान के लिए जदयू की प्रतिबद्धता का ही परिणाम है कि राज्य के गरीब-पिछड़े, दलित-महदलित वर्गों के समुचित विकास की अनेकों योजनाओं ने इन्हें विकास की मुख्यधारा में जोड़ने का काम किया है।

बिहार में मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में ‘न्याय के साथ विकास’ की परिकल्पना के आधार पर समाज के हर वर्ग के उत्थान के लिए कई नीतियों और योजनाओं के सफल क्रियान्वयन के जरिए अनेक कीर्तिमान गढ़े जा रहे हैं। राज्य मंत महिलाओं के सशक्तिकरण के जो कार्य हुए हैं, उनकी चर्चा पूरे देश में होती है। जदयू के नेतृत्व वाली सरकार ने जीविका, जल-जीवन-हरियाली, हर घर बिजली, हर घर नल का जल, कन्या उत्थान योजना, मुख्यमंत्री उद्यमी योजना और  महिलाओं को अतिरिक्त आरक्षण देने जैसे युगांतकारी फैसले लेकर देश व अन्य राज्यों को भी प्रेरित किया है।

वर्तमान में जनता दल यूनाइटेड के लोकसभा में सदस्यों की संख्या 16 है। लोकसभा में जदयू के पार्टी के नेता के तौर पर मुंगेर के सांसद श्री राजीव रंजन सिंह ‘ललन सिंह’ हैं । इस तरह से जदयू देश की संसद में एक मुख्य भूमिका निभाती है। वर्तमान में बिहार की विधानमंडल में विधानसभा सदस्यों की संख्या 45 व विधानपरिषद सदस्यों की संख्या 24 हैं। बिहार विधानमंडल दल के नेता श्री नीतीश कुमार हैं। श्री नीतीश कुमार को अपनी वृहद समाजवादी सोच और बेदाग छवि के चलते पिछले डेढ़ दशक से अधिक समय से जनमानस का अपार समर्थन प्राप्त है।

सामाजिक न्याय के साथ विकास और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत को लेकर जनता दल यूनाइटेड पार्टी की स्थापना 30 अक्टूबर 2003 में हुई। समाजवादी विचारधारा के वाहक के रूप में समाज के अंतिम व्यक्ति का उत्थान सुनिश्चित करते हुए जदयू का निरंतर प्रसार होता गया। अल्प अवधि में जदयू ने बिहार सहित अन्य राज्यों में भी अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करवायी। बिहार, झारखंड, मणिपुर, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश की जनता ने जदयू को लेकर समावेशी विकास के लिए अपना भरोसा व्यक्त किया। पिछले वर्ष देश के 75 लाख लोगों ने जदयू की सदस्यता लेकर समाजवादी विचारधारा की मजबूती और विस्तार के लिए संकल्पित हुए।

सुशासन बाबू के नाम से प्रसिद्ध बिहार के यशस्वी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी का जन्म 1 मार्च, 1951 को पटना के बख्तियारपुर में हुआ था।  श्री नीतीश कुमार जी के पिता स्व. राम लखन सिंह जी स्वत्रंता सेनानी और विख्यात गांधीवादी नेता थे। श्री नीतीश कुमार जी ने बिहार कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, पटना से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। नीतीश कुमार की राजनीतिक परवरिश देश के महान समाजवादी राजनेताओं के इर्द-गिर्द हुई, जिसका प्रभाव नीतीश जी के व्यक्तित्व व राजनीति पर साफ देखा जा सकता है।  राम मनोहर लोहिया, जयप्रकाश नारायण, वी.पी सिंह जैसे राजनैतिक दिग्गजों की देख-रेख में नीतीश कुमार ने राजनीति के सभी दृष्टिकोणों समझा और परखा।  नीतीश कुमार जी ने साल 1974 से 1977 तक चले जयप्रकाश नारायण के आंदोलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। उनके अंदर समाजवाद की ऐसी छाप पड़ी उन्होंने अपने राजनीतिक सफर के लिए समाजवाद का रास्ता चुन लिया।  राजनीति का उगता हुआ यह सूरज साल 1985 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में बिहार विधानसभा में पहुंच गया। विलक्षण राजनीतिक प्रतिभा के धनी रहे श्री नीतीश कुमार वर्ष 1987 में युवा लोक दल के अध्यक्ष बना दिए गए। इसके बाद वर्ष 1989 में वह बिहार में जनता दल इकाई के

5 सदस्य राज्यसभा में जदयू का प्रतिनिधित्व करते हैं। राज्यसभा में पार्टी नेता के तौर पर श्री राम नाथ ठाकुर पार्टी का संदेश और उद्देश्य संसद पटल पर रखने का काम करते हैं।राज्यसभा में उपसभापति के तौर पर 9 अगस्त 2018 से श्री हरिवंश नारायण सिंह पदस्थ हैं। ये उनका दूसरा कार्यकाल है।
जनता दल (यू०) गांधी, लोहिया, जयप्रकाश और आम्बेदकर की विचारधारा पर चलती है। भारत के संविधान में हमारी आस्था और समाजवाद, धर्म निरपेक्षता एवं लोकतंत्र के सिद्धान्तों में विश्वास है। गांधीवादी सिद्धान्तों तथा स्वतंत्रता आन्दोलन के मूल्यों, आदर्शों एवं परम्पराओं से प्रेरणा लेकर देश की एकता अखंडता और संप्रभुता को सुरक्षित रखने के लिए हम कृतसंकल्प हैं। भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन के महापुरूषों के विचारों, आदर्शों और मूल्यों की जो राजनीतिक विरासत है, उसी की बुनियाद पर जद (यू0) का गठन हुआ है। महात्मा गांधी ने हमें आजादी दी, डॉ लोहिया और जे0पी0 ने उस आजादी की रक्षा करने और उसकी उपलब्धियों को लोगों तक पहुंचाने के लिए संघर्ष का रास्ता दिखाया तथा डॉ आम्बेडकर ने उस लोकतंत्र को बचाने के लिए संविधान का रक्षा-कवच दिया। राजनीति के उसी रास्ते पर पार्टी चल रही है। ।